Panchaarti composed by Shri Krishna Jogeshwar Bhismaa is the 5th Aarti of morning Aarti of Shirdi
Pancharti means the aarti performed with the five wick jyots (flames)
शिर्डी साई बाबा की सुबह की आरतियों मैं यहाँ पांचवी आरती है ।
पंचारती के कुछ शब्दों के अर्थ
पंचारती का अर्थ - पाँच बातियों की ज्योति वाली आरती
रखुमाधाव - राकुमाई के पति यानि विट्ठल
रमाधव - रुकमनी के पति यानि कृष्ण
५। पंचारती (अभंग)
श्री कृष्ण जोगिस्वर भीष्म इस आरती के रचनाकार
घेउनिया पंचारती। करू बाबांसी आरती।
करू साईसी आरती । करू बाबांसी आरती ॥ १ ॥
पंचारती लेक्रर हम बाबाकी आरती करें ।
श्री साईं की आरती करें, बाबा की आरती करें ।
उठा उठा हो बांधव । ओवाळृ हा रखुमाधव।
साई रमाधव। ओवाळृ हा रखुमाधव ॥ २ ॥
है बंधुओं उठो उठो , रखुमाधवकी आरती करें ।
श्री साई रमाधव की आरती करें। साई जो रखुमाधव हैं, उनकी आरती करें।
करुनिया स्थीर मन । पाहू गंभीर हे ध्यान।
साइचे है ध्यान। पाहू गंभीर हे ध्यान ॥ ३ ॥
अपने मन को स्थिर करते हुए हम श्री साई के गम्भिर ध्यानस्थ रूप को निरखें।
श्री साई के ध्यानमग्न रूप का दर्शन करें। उनके गंभीर ध्यान को निहारें।
कृष्णनाथा दत्तसाई । जडो चित तुझे पायी ।
चित देवा पायी। जडो चित तुझे पायी ॥ ४ ॥
है कृष्णनाथ दत्तसाई, हमारा ये मन आपके चरणों में स्थीर हो।
है साई देव, हमारा चित्त आपके चरणों मैं लीन हो। आपके चरणों में हमारा चित्त स्थिर हो।
Tuesday, July 21, 2009
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